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सीमेंट की सुपरफास्ट रेस: अंबुजा बनाम अल्ट्राटेक, कौन बनेगा मार्केट किंग


देश की सीमेंट इंडस्ट्री में 'दिग्गजों की जंग' तेज हो रही है! अडानी और अडिट्या बिरला ग्रुप ने एक-दूसरे को पछाड़ने के लिए अपने एक्सपेंशन प्लान्स का ऐलान किया है। आखिर इस रेस के क्या हैं फायदे और नुकसान? पूरी खबर यहां पढ़ें।

नई दिल्ली: भारत के सीमेंट उद्योग में अब दो दिग्गजों की जोरदार होड़ शुरू हो गई है। गौतम अडानी की कंपनी अंबुजा सीमेंट्स ने अपने प्रोडक्शन टारगेट को बढ़ाकर अपने बड़े प्रतिद्वंद्वी अल्ट्राटेक सीमेंट की बराबरी करने का ऐलान किया है।

फैक्ट्स चेक (Facts Check):

अंबुजा सीमेंट्स (अडानी ग्रुप) की योजना: कंपनी ने सोमवार को ऐलान किया कि वह वित्तीय वर्ष 2028 (FY28) तक अपनी वर्तमान 107 MTPA (मिलियन टन प्रति वर्ष) क्षमता में 15 MTPA का इजाफा करके इसे 155 MTPA तक पहुंचाएगी। यह विस्तार 'डी-बॉटलनेकिंग' (मौजूदा संयंत्रों को और बेहतर बनाकर) तकनीक से किया जाएगा, जिस पर कम खर्च आएगा।

अल्ट्राटेक सीमेंट (अडिट्या बिरला ग्रुप) की योजना: महज पंद्रह दिन पहले, 18 अक्टूबर को, अल्ट्राटेक ने भी अपना लक्ष्य बढ़ाते हुए FY28 तक 22.8 MTPA की बढ़ोतरी कर 240 MTPA तक पहुंचने का लक्ष्य रखा। वह FY26 के अंत तक ही 200 MTPA का आंकड़ा छूने की योजना बना रहा है।

तीन साल की होड़: अडानी के सीमेंट कारोबार में उतरने के बाद से दोनों प्रतिद्वंद्वियों ने मिलाकर 90 MTPA से अधिक की नई क्षमता जोड़ी है, जो देश की तीसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी, श्री सीमेंट की कुल क्षमता (56 MTPA) से भी ज्यादा है।

ट्रेंड्स और इनसाइट्स (Trends & Insights):

1. एकाधिकार (Duopoly) की ओर बढ़ता बाजार: वर्तमान गति से, अडानी और अल्ट्राटेक मिलकर जल्द ही देश की कुल 688 MTPA सीमेंट क्षमता का आधे से ज्यादा हिस्सा अपने कब्जे में कर लेंगे। इससे बाजार में दो बड़ी कंपनियों का दबदबा (Duopoly) कायम होगा।

2. एक्विजिशन का दौर: दोनों कंपनियां नई फैक्ट्रियां लगाने के साथ-साथ छोटी कंपनियों को खरीदकर (Acquisition) भी तेजी से बढ़ रही हैं। अडानी ने संघी इंडस्ट्रीज, पेन्ना और ओरिएंट सीमेंट खरीदे, जबकि अल्ट्राटेक ने केसोरम और इंडिया सीमेंट्स का अधिग्रहण किया।

3. प्रॉफिट के बजाय मार्केट शेयर पर फोकस: बाजार में प्रतिस्पर्धा की रफ्तार कम होने के संकेत थे, लेकिन इन नए लक्ष्यों ने दिखा दिया है कि दोनों कंपनियां मार्केट शेयर बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अंबुजा का यह कदम अल्ट्राटेक के साथ प्रतिस्पर्धी अंतर को कम करने की रणनीति है।

फायदे और नुकसान (Pros & Cons):

फायदे (Pros):

ग्राहकों के लिए बेहतर विकल्प: तीव्र प्रतिस्पर्धा से उत्पादों की क्वालिटी बेहतर हो सकती है और कीमतों पर नियंत्रण रह सकता है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा: बढ़ती उत्पादन क्षमता से देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास (सड़क, बिल्डिंग, आदि) को गति मिलेगी।

टेक्नोलॉजी में निवेश: कंपनियां डी-बॉटलनेकिंग और ब्लेंडर लगाने जैसी नई तकनीकों में निवेश कर रही हैं, जिससे दक्षता बढ़ेगी।

नुकसान (Cons):

छोटे प्लेयर्स के लिए मुश्किल: इतने बड़े पैमाने पर एक्सपेंशन से छोटी और मझोली सीमेंट कंपनियों के लिए बाजार में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा।

प्रॉफिट मार्जिन पर दबाव: मार्केट शेयर की जंग में कंपनियों को कीमतें कम रखनी पड़ सकती हैं, जिससे उनके मुनाफे पर असर पड़ सकता है।

अधिक उत्पादन, कम मांग का जोखिम: अगर भविष्य में मांग अनुमान के मुताबिक नहीं बढ़ी, तो अधिक उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो पाएगा, जिससे निवेश का रिटर्न कम होगा।

कंपनी का दावा:

अंबुजा सीमेंट के सीईओ विनोद बाहेती ने कहा कि यह विस्तार कम पूंजीगत व्यय (Low Capex) में होगा। कंपनी ने सितंबर तिमाही में अपना स्टैंडअलोन शुद्ध लाभ 500.66 करोड़ से बढ़ाकर 1,387.55 करोड़ कर दिया, जिसकी एक बड़ी वजह कोर्ट के फैसलों के बाद प्रोविजन में वापसी होना था। उन्होंने जीएसटी में कटौती और बेहतर आर्थिक माहौल को भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत बताया।

Shyam Prakash
Shyam Prakash

Tech Innovation & Business Insights Expert

Noida, Uttar Pradesh, India

Technology & Business Review Expert | Decoding AI & Digital Disruption for Competitive Advantage