नोएडा, सेक्टर 73 (सर्फाबाद) से आज एक प्रेरणादायक और महत्वपूर्ण संदेश सामने आया है।
भारतीय जन-जागरण के प्रतीक प्रशांत किशोर द्वारा भितिहरवा गांधी आश्रम (चंपारण) से शुरू किए गए एक दिन के उपवास के समर्थन में,
डॉ. शैलेश कुमार गिरी (राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता, राष्ट्रीय कोर कमेटी उपाध्यक्ष और बिहार–झारखंड प्रदेश प्रभारी, भारतीय हलधर किसान यूनियन) ने भी मौन उपवास करते हुए बिहार के व्यापक बदलाव के लिए स्वयं को पूर्णतः समर्पित करने का दृढ़ संकल्प लिया है।
डॉ. गिरी ने अपने संदेश में कहा
“मैं जहाँ हूँ, वहीं से इस ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा हूँ।
बिहार को जाति, भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी की जंजीरों से मुक्त कराने की लड़ाई में
मैं अपने आप को भी प्रशांत किशोर जी के साथ पूरी तरह खपा देने का संकल्प लेता हूँ।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह उपवास केवल प्रतीक भर नहीं, बल्कि बिहार में सुशासन, शिक्षा, रोजगार, पारदर्शिता और नई राजनीतिक चेतना के निर्माण का संकल्प है।
उन्होंने देशभर के युवाओं, किसानों, मजदूरों, महिला शक्ति और बुद्धिजीवियों से अपील की है—
“अब समय आ गया है कि बिहार की नई कहानी लिखी जाए — सत्य, सेवा और संवाद की कहानी।”
"हक़ीक़तें बदलती नहीं केवल चेहरों से,
क़ौम की तक़दीर लिखी जाती है ख़ुद के ज़ेहरों से।
कहते हैं समझदार वो जिसे राज़ समझ आए,
पर समझ वही पाए जो चले जन-ज़मीर के पहरों से."
"इस चुनाव में शायद उतनी समझ नहीं मिली,
जितनी मिलनी चाहिए थी वक़्त की पुकार सुनकर।
जनता ने मुद्दों के बजाय चेहरों पर फ़ैसला कर दिया,
वरना राजनीति बदलती है दर्द के अधिकार से होकर।
जो सच में समझेगा खेत, मज़दूर और युवा की धड़कन—
उसी के हाथ बदलेगा बिहार का ताज़ आने वाले कल में।"
"फ़ैसला तो हो गया, पर ये सफ़र अधूरा है अभी,
ज़ख़्म दिल के बोलते हैं—चुनाव का नूरा है अभी।
जो समझ पाए न जनता की ख़ामोश तड़प को,
उसके हाथों में सियासत का दस्तूरा है अभी।
कल फिर उठेगी वही आवाज़ हक़ और हक़ीक़त की—
क्योंकि इस ज़मीन पर बदलाव का सवेरा दूरा है अभी।"
डॉ. शैलेश कुमार गिरि
राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता
राष्ट्रीय कोर कमेटी उपाध्यक्ष
बिहार–झारखंड प्रदेश प्रभारी, भारतीय हलधर किसान यूनियन






