मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए 10,650 नई एमबीबीएस सीटों को मंजूरी दी है। इसके साथ ही देश में 41 नए मेडिकल कॉलेज जुड़ गए हैं। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2024 के स्वतंत्रता दिवस पर किए गए उस ऐलान की दिशा में बड़ा कदम है, जिसमें उन्होंने अगले 5 वर्षों में 75,000 नई मेडिकल सीटें बढ़ाने का संकल्प लिया था।
मुख्य बिंदु
- नई एमबीबीएस सीटें: 10,650
- नए मेडिकल कॉलेज: 41
- देश में कुल मेडिकल कॉलेजों की संख्या: 816
- 2024-25 के लिए कुल एमबीबीएस सीटें: लगभग 1,37,600 (राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की सीटों सहित)
- PG पाठ्यक्रमों के लिए प्राप्त आवेदन: 3,500 से अधिक
- संभावित नई PG सीटें: लगभग 5,000
- कुल PG सीटें: लगभग 67,000
- इस वर्ष कुल सीट वृद्धि (UG + PG): करीब 15,000
डेटा एनालिसिस
- बीते कुछ वर्षों में भारत में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में तेज़ी से विस्तार हुआ है।
- 2014 में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या लगभग 387 थी, जो अब बढ़कर 816 हो गई है — यानी लगभग दोगुनी वृद्धि।
- 2014 में MBBS सीटें 50,000 से कम थीं, जबकि अब यह संख्या 1.37 लाख के करीब पहुँच चुकी है।
- यह वृद्धि न केवल डॉक्टरों की कमी को दूर करने में मदद करेगी बल्कि ग्रामीण और छोटे शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूती प्रदान करेगी।
एनएमसी प्रमुख डॉ. अभिजात शेठ का बयान
“इस वर्ष पहली बार ऐसा हुआ है कि मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड (MARB) के सभी अपील मामलों का निपटारा बिना किसी अदालती हस्तक्षेप के किया गया है। इससे प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी बनी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम अनुमोदन और परामर्श की प्रक्रिया निर्धारित समय-सीमा में पूरी कर ली जाएगी, ताकि नए शैक्षणिक सत्र में छात्रों को किसी भी प्रकार की देरी का सामना न करना पड़े।
दिव्यांगजनों के लिए बड़ा कदम
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने दिव्यांगजनों को मेडिकल एजुकेशन में आरक्षण देने के लिए एक अंतरिम गाइडलाइन जारी की है।
इसमें मानसिक रूप से दिव्यांग उम्मीदवारों को भी आरक्षण का लाभ देने का प्रस्ताव है।
हालांकि, आयोग ने स्पष्ट किया है कि मानसिक दिव्यांगता के आकलन के लिए मानक तय किए जा रहे हैं ताकि यह प्रक्रिया वैज्ञानिक और न्यायपूर्ण हो।
निष्कर्ष
एनएमसी का यह निर्णय न केवल मेडिकल शिक्षा को नई दिशा देगा बल्कि आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का केंद्र बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
यह कदम NEET छात्रों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो डॉक्टर बनने के अपने सपनों को साकार करने की तैयारी में हैं।






