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विश्व व्यापार में भूचाल! ट्रंप ने चीन पर 155% टैरिफ की तलवार तानी, 1 नवंबर से शुरू होगा टैरिफ युद्ध का नया दौर

सारांश:

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने धमकी दी है कि यदि दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौता नहीं हुआ, तो 1 नवंबर, 2025 से अमेरिका चीन से आने वाले सामान पर मौजूदा टैरिफ के ऊपर अतिरिक्त 100% टैरिफ लगा सकता है, जिससे कुल टैरिफ 155% तक पहुंच सकता है। ट्रंप ने चीन के "आक्रामक रवैये" को इसका कारण बताया, साथ ही यह भी उम्मीद जताई कि आगामी मुलाकातों में एक "शानदार" समझौता होगा।

1 नवंबर से संभावित 155% टैरिफ वॉर – दुनिया की अर्थव्यवस्था पर क्या असर?

1️⃣ कौन-कौन-से सामान सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे

उच्च जोखिम श्रेणियां (High Impact Categories):

  • इलेक्ट्रॉनिक्स: लैपटॉप, मोबाइल फोन पार्ट्स, चिपसेट, LED पैनल, टीवी, ऑटोमोटिव चिप्स।
  • उद्योगिक सामग्री: इस्पात, एल्युमिनियम, केमिकल्स, मशीनरी।
  • उपभोक्ता उत्पाद: फर्नीचर, कपड़े, खिलौने, घरेलू उपकरण।
  • सॉफ़्टवेयर आधारित सिस्टम: चीनी हार्डवेयर जिसमें अमेरिकी सॉफ़्टवेयर शामिल है (AI-चिप, डेटा सर्वर, 5G उपकरण)।

👉 इन उत्पादों पर 155% टैरिफ लगने से अमेरिका में इनकी कीमतें 25-40% तक बढ़ सकती हैं।

2️⃣ अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर

  • मुद्रास्फीति (Inflation): चीनी वस्तुओं की महँगाई से उपभोक्ता-मूल्य सूचकांक (CPI) फिर से बढ़ सकता है, जिसे फेडरल रिजर्व संभालने में दिक्कत झेल सकता है।
  • कॉर्पोरेट प्रॉफिट: अमेरिकी कंपनियाँ जो चीन से कंपोनेंट मंगाती हैं (Apple, Tesla, Intel आदि), उनकी मार्जिन कम हो सकती है।
  • मार्केट रिएक्शन: Economic Times ने रिपोर्ट किया है कि यदि यह टैरिफ लागू हो गया, तो “नवंबर मार्केट क्रैश” का जोखिम भी उभर सकता है।

3️⃣ चीन के लिए प्रभाव

  • चीन के निर्यात पर भारी दबाव आएगा, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो-पार्ट्स और सोलर उद्योग पर।
  • बीजिंग संभवतःकाउंटर-टैरिफ” या “दुर्लभ मिट्टी (rare-earth) एक्सपोर्ट कंट्रोल” लागू कर सकता है।
  • “मेड इन चाइना 2025” नीति के तहत स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने का दबाव और तेज़ होगा।

4️⃣ भारत के लिए अवसर और जोखिम

 अवसर

  • सप्लाई चेन शिफ्ट: अमेरिकी कंपनियाँ वैकल्पिक स्रोत ढूंढ रही हैं — भारत, वियतनाम, मैक्सिको इसका लाभ ले सकते हैं।
  • मैन्युफैक्चरिंग बूस्ट: “Make in India” नीति के तहत भारत इलेक्ट्रॉनिक्स व ऑटो कंपोनेंट एक्सपोर्ट में आगे बढ़ सकता है।
  • टेक्नोलॉजी सेक्टर: यदि अमेरिकी सॉफ़्टवेयर एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगता है, तो भारत IT सेवाओं के वैकल्पिक केंद्र के रूप में उभर सकता है।

⚠ जोखिम

  • यदि टैरिफ युद्ध लंबा चला तो वैश्विक डिमांड कम हो सकती है, जिससे भारत का निर्यात (टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग गुड्स आदि) भी प्रभावित हो सकता है।
  • भारत के लिए चीनी इनपुट (जैसे इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट, रॉ मैटेरियल) महंगे हो सकते हैं।

5️⃣ संभावित विकास (Next Steps)

  • ट्रम्प और शी जिनपिंग की अगली मुलाकात मलेशिया या दक्षिण कोरिया में अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में हो सकती है।
  • दोनों देश एक “न्यायसंगत व्यापार समझौता” पर काम कर रहे हैं, ताकि टैरिफ वॉर से बच सकें (Reuters की रिपोर्ट के अनुसार)।

💡रणनीतिक सुझाव भारत के लिए

  • सप्लाई-चेन विविधीकरण: भारत को चीन पर निर्भर उद्योगों (इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, ऑटो) के लिए घरेलू व ASEAN विकल्प तैयार करने चाहिए।
  • निर्यात विकास योजना: ट्रेड वॉर के कारण अमेरिकी कंपनियाँ नई सप्लाई ढूंढेंगी — भारत को उनके साथ फास्ट-ट्रैक ट्रेड टॉक शुरू करनी चाहिए।
  • IT और सेवाओं का एक्सपोर्ट: अमेरिका द्वारा सॉफ़्टवेयर कंट्रोल्स लगने के बाद भारत अपने IT ब्रांड्स (Infosys, TCS, Tech Mahindra आदि) को विकल्प रूप में स्थापित कर सकता है।
  • विदेश नीति संतुलन: भारत को अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंध बनाए रखते हुए चीन के साथ व्यापार संतुलन भी सुनिश्चित करना होगा।

Sayara
Sayara

Digital Content Producer (Lifestyle)

Sayara Bano is a Digital Content Producer (Lifestyle) at Wafi News. She has a strong passion for writing about health and fitness and is always eager to learn and explore new trends in the wellness space.