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बिहार में बंद उद्योगों के पुनर्जीवन की सरकारी घोषणा — संघर्ष की धुरी बने डॉ. शैलेश कुमार गिरि

पटना/सारण/जलालपुर।

बिहार सरकार द्वारा राज्य के सभी बंद पड़े उद्योग-धंधों और चीनी मिलों को पुनः चालू करने की ऐतिहासिक घोषणा के बाद पूरे बिहार में नई उम्मीद और उत्साह की लहर दौड़ गई है। यह फैसला उन लाखों किसानों, मजदूरों और बेरोजगार युवाओं के लिए राहत लेकर आया है, जो वर्षों से इन मिलों के बंद रहने से प्रभावित थे।

इस महत्वपूर्ण निर्णय का श्रेय व्यापक रूप से भारतीय हलधर किसान यूनियन के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता, राष्ट्रीय कोर कमेटी उपाध्यक्ष एवं बिहार–झारखंड प्रदेश प्रभारी डॉ. शैलेश कुमार गिरि को दिया जा रहा है।

सारण की मढ़ौरा चीनी मिल सहित बिहारभर के बंद पड़े उद्योगों को पुनर्जीवित कराने के आंदोलन में उनका नेतृत्व निर्णायक रहा है।

मढ़ौरा से पटना तक जनांदोलन — डॉ. गिरि का नेतृत्व बना प्रेरक शक्ति

सितंबर 2022 से जनवरी 2023 तक चले इस व्यापक जनांदोलन में युवाओं ने 15 अगस्त को मढ़ौरा से पटना तक पैदल मार्च किया और राजधानी पटना के गर्दनीबाग में लगातार 23 दिनों तक धरना दिया।

इस दौरान आंदोलन की कमजोर पड़ती ऊर्जा और समन्वय को देखते हुए डॉ. शैलेश कुमार गिरि स्वयं नोएडा से पटना पहुँचे। पगड़ी–साफा धारण कर उन्होंने आंदोलन में एकजुटता और नई शक्ति का संचार किया तथा युवाओं को दिल्ली सीमा पर 375 दिन चले किसान आंदोलन और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संघर्षों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

आंदोलन को ताकत देने वाले प्रमुख सक्रिय आंदोलनकारी

डॉ. गिरि के नेतृत्व में आंदोलन को धार देने में कई सक्रिय युवाओं और स्थानीय नेतृत्वकर्ताओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रमुख नामों में शामिल हैं—

अतुल प्रताप सिंह, आलोक कुमार, वीर आदित्य, सागर कुमार, मनोरंजन मन्नू, पवन श्रीवास्तव, रणवीर चौबे, मुकेश कुमार — तथा दर्जनों अन्य समर्पित आंदोलनकारी, जिनके अथक प्रयासों ने यह जनांदोलन राज्यव्यापी स्वरूप ग्रहण कराया।

ठहरे आंदोलन में नई जान — दिसंबर 2023 की निर्णायक रणनीति

दिसंबर 2023 में जब आंदोलन ठहराव की स्थिति में था, तब डॉ. गिरि औचक मढ़ौरा चीनी मिल परिसर पहुँचे। उन्होंने स्थानीय नेतृत्व से बैठक कर भविष्य के लिए गोपनीय, धारदार एवं निर्णायक रणनीति तैयार की।

इसके बाद उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में किसान संवाद कार्यक्रम चलाए, जिससे आंदोलन को दोबारा गति मिली और वह पूरे बिहार में फैल गया।

डॉ. गिरि पूर्व में दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर 375 दिनों तक चले किसान आंदोलन में सक्रिय रहे हैं। बिहार के किसानों के हितों के प्रति उनकी निरंतर चिंता और राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर उठाई गई उनकी आवाज़ ने यहाँ के आंदोलन को विशेष मजबूती प्रदान की।

किसानों–मजदूरों की प्रतिक्रिया

सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए बिहार के किसानों, मजदूरों और युवाओं ने कहा—

“बिहार में उद्योगों के पुनर्जीवन की यह ऐतिहासिक पहल डॉ. शैलेश कुमार गिरि के अथक संघर्ष और नेतृत्व के बिना संभव नहीं होती। मढ़ौरा ही नहीं, पूरा बिहार उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा।”

डॉ. शैलेश कुमार गिरि की प्रतिक्रिया

सरकार की घोषणा का स्वागत करते हुए डॉ. गिरि ने कहा—

“यह तो सिर्फ शुरुआत है। हमारा लक्ष्य है कि बिहार के सभी बंद उद्योग तेजी से चालू हों और आने वाले समय में 12 से 20 लाख रोजगार के अवसर तैयार किए जा सकें।”


Devansh
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