हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा की मोस्ट अवेटेड फिल्म एक दीवाने की दीवानियत आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। रिलीज के पहले ही दिन फिल्म को दर्शकों से जोरदार रिस्पॉन्स मिला—सुबह से ही शोज हाउसफुल रहे। कहानी और माहौल दोनों ही दर्शकों को एक जुनूनी प्रेम यात्रा पर ले जाते हैं।
कहानी और थीम
फिल्म की कहानी एक पॉवरफुल पॉलिटिशियन के बेटे विक्रमादित्य भोसले की है, जो बॉलीवुड स्टार अदा से जुनूनी प्रेम करने लगता है। अदा उसकी मोहब्बत ठुकरा देती है, लेकिन विक्रमादित्य अपनी ताकत के गुरूर में उसे धमकी देता है—प्यार से या मजबूरी से, शादी तो उसी से करनी होगी। फिल्म रोमांस और अहंकार के टकराव को भावनात्मक गहराई के साथ दिखाती है।
फर्स्ट और सेकेंड हॉफ का प्रभाव
पहला हिस्सा विक्रमादित्य के बैकग्राउंड और उसकी दीवानगी को स्थापित करता है। इसमें ड्रामैटिक एलिमेंट्स हैं, खासकर कश्मीर आधारित सीन थोड़ा लंबा खिंचता है। लेकिन सेकेंड हॉफ में जैसे ही अदा की नफरत और संघर्ष का पहलू खुलता है, कहानी इंटेंस और एंगेजिंग हो जाती है। मिलाप जावेरी और मुश्ताक शेख के लिखे डायलॉग्स कवित्वपूर्ण हैं—प्यार और नफरत के बीच की बारीक रेखा को खूबसूरती से उकेरते हैं।
परफॉरमेंस और डायलॉग्स
हर्षवर्धन राणे अपने किरदार में पूरी तरह डूब गए हैं—उनकी इंटेंस एक्टिंग और इमोशनल एक्सप्रेशन फिल्म की जान हैं। सोनम बाजवा ने अदा के रूप में नफरत और दर्द दोनों को खूबसूरती से निभाया है। डायलॉग्स जैसे “आपकी ना के बाद, ज़्यादा से हां ही करती” सिनेमाघरों में खूब तालियाँ बटोर रहे हैं।
तकनीकी पहलू और संगीत
निगम बोमजान की सिनेमैटोग्राफी और विशाल मिश्रा का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की ताकत हैं। दीवानियत टाइटल ट्रैक और बी-प्राक की आवाज़ में “हम बस तेरे हैं” जैसे गाने फिल्म को क्लासिक रोमांटिक एहसास देते हैं। पिक्चराइजेशन भी विजुअली आकर्षक है।
निष्कर्ष
फिल्म में इमोशन, प्रेम और दीवानगी तीनों तत्वों का प्रभावशाली संगम है। कुछ जगह एक्स्ट्रा ड्रामैटिक सीन हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह फिल्म अपने दर्शकों को भावनात्मक अनुभव देती है।
क्रिटिक्स ने 3.5 स्टार दिए हैं और युवाओं के बीच इसका क्रेज साफ झलक रहा है।





