कपिल देव, एमएस धोनी, रोहित शर्मा... और अब हारमनप्रीत कौर! भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने रविवार को एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ते हुए दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार महिला विश्व कप पर कब्जा जमाया।
भारत ने महिला विश्व कप पर पहली बार जीता दाव, शफाली-दीप्ती के ऑलराउंड कमाल ने रचा इतिहास
जोहान्सबर्ग: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने एक ऐतिहासिक जीत के साथ वह सपना पूरा कर दिखाया, जो 2005, 2017 और 2020 के विश्व कपों में टूटता रहा। हारमनप्रीत कौर की अगुआई वाली भारत ने दक्षिण अफ्रीका को आखिरी मुकाबले में 52 रनों से शिकस्त देकर अपना पहला महिला विश्व कप खिताब जीत लिया। इस जीत की नींव रखी 21 साल की शफाली वर्मा और दीप्ती शर्मा के अद्भुत ऑलराउंड प्रदर्शन ने।
फाइनल का हीरो: शफाली वर्मा की 'रीडेम्पशन स्टोरी'
शफाली वर्मा के लिए यह फाइनल सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि 2017 के टी20 विश्व कप फाइनल में हार के दर्द को भुलाने का मौका था। उस रात मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में उनके शुरुआती आउट होने से भारत की हार हो गई थी। लेकिन इस बार शफाली नहीं, बल्कि उनके बल्ले और गेंद ने जवाब दिया।
• बल्ले से धमाल: टीम में चोटिल प्रतिका रावल की जगह शामिल हुईं शफाली ने फाइनल में 87 रनों की धुआँधार पारी खेली। स्मृति मंधना (45) के साथ उन्होंने पहले विकेट के लिए 115 रनों की साझेदारी की। यह किसी भी विश्व कप (पुरुष/महिला) के नॉकआउट मैच में भारत की ओर से पहली विकेट के लिए सैकड़ा साझेदारी है।
• गेंद से जादू: बल्लेबाजी के बाद शफाली ने गेंदबाजी में भी अहम भूमिका निभाई और 2 महत्वपूर्ण विकेट (2/36) लेकर मैच का रुख भारत के पक्ष में कर दिया।
• इतिहास रचा: 21 साल की उम्र में फाइनल में अर्धशतक लगाने वाली वह (पुरुष/महिला किसी भी विश्व कप में) सबसे कम उम्र की क्रिकेटर बन गईं।
टूर्नामेंट की हीरो: दीप्ती शर्मा की 'वन-वूमन आर्मी'
अगर शफाली ने फाइनल जिताया, तो दीप्ती शर्मा ने पूरे टूर्नामेंट में भारत को जीत के रास्ते पर चलाया।
• ऑलराउंड महत्व: फाइनल में दीप्ती ने 58 रनों की उपयोगी पारी खेली और फिर गेंदबाजी में शानदार हैट्रिक ली, जिसमें 5 विकेट (5/39) शामिल हैं।
• टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी: पूरे टूर्नामेंट में कुल 20 विकेट लेकर उन्हें 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' का पुरस्कार मिला।
महिला सशक्तिकरण का संदेश: 'हम कुछ भी कर सकती हैं'
यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि देश की करोड़ों लड़कियों और महिलाओं के लिए एक सशक्त संदेश है। इस जीत ने यह साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। यह टीम हर उस लड़की के लिए एक प्रेरणा है, जो समाज की बंदिशों को तोड़कर अपने सपनों को पंख देना चाहती है।
विजेता टीम की भावनाएं:
• हारमनप्रीत कौर (कप्तान): "यह पल मेरे लिए और पूरे भारत के लिए बेहद खास है। हमने कई बार फाइनल में हार का दर्द झेला था, लेकिन आज इस टीम के जज्बे और हौसले ने वह सब कुछ पा लिया। यह जीत हर उस लड़की के लिए है जो सपना देखती है।"
• शफाली वर्मा (प्लेयर ऑफ द मैच): "2017 का दर्द आज तक याद था। आज उस दर्द को इस जीत में बदलना बहुत बड़ी बात है। मैं अपनी टीम और कोच्स का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं, जिन्होंने मुझ पर भरोसा रखा।"
• दीप्ती शर्मा (प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट): "मैं बस यही सोच रही थी कि टीम के लिए कुछ करना है। आज मेरा बल्ला और गेंद, दोनों चल गए। यह जीत हम सब की मेहनत का नतीजा है।"
महिलाओं के लिए प्रेरणा:
"यह ट्रॉफी हर उस महिला के लिए है जो किसी भी क्षेत्र में अपना लोहा मनवाना चाहती है। यह साबित करती है कि 'लक्ष्य चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो, हिम्मत और एकजुटता से उसे हासिल किया जा सकता है।' आज का दिन भारतीय महिला खिलाड़ियों के संघर्ष और सफलता की वह कहानी है, जो आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाएगी।"
नोट: भारत का 298 रनों का स्कोर किसी विश्व कप फाइनल में दूसरा सबसे बड़ा टोटल है। वहीं, दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लॉरा वोल्वार्ट ने लगातार दूसरे मैच में शतक (109 रन) जमाया, लेकिन वह टीम को जिता नहीं सकीं।






