एक नजर में शरीफा की सफलता के आंकड़े:
शुरुआत: ₹100 उधार लेकर।
वर्तमान व्यवसाय: 3 होटल/रेस्तरां (मुथु कैटरिंग, कोट्टक्कल आयुर्वेद कॉलेज कैंटीन, कैफे कुटुम्बश्री)।
वार्षिक राजस्व: लगभग ₹50 लाख।
संपत्ति: ₹1 करोड़ से अधिक मूल्य का घर, 3 कारें।
रोजगार सृजन: 40 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया।
मुख्य उत्पाद: उन्नियप्पम, बिरयानी, पाथरी, चपाती, डब्बा सेवा।
गहराई से जानें शरीफा के संघर्ष और सफलता की कहानी:
केरल के मलप्पुरम जिले की रहने वाली शरीफा कलथिंगल आज सफल उद्यमी हैं, लेकिन उनका सफर बेहद संघर्षों भरा रहा है। उनके पति सक्कीर एक पेंटर थे और मौसम के अनुसार काम मिलना मुश्किल था। ऐसे में, परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी एक चुनौती थी। एक समय ऐसा भी आया जब परिवार के पास चावल का दलिया खरीदने तक के पैसे नहीं थे।
गरीबी की जंजीरों को तोड़ने का संकल्प:
हालात से हार न मानते हुए, शरीफा ने अपनी पाक कला को ही अपना हथियार बनाने का फैसला किया। उन्होंने एक पड़ोसी से 100 रुपये उधार लिए और चावल के आटे व गुड़ से उन्नियप्पम (केरल की स्थानीय मिठाई) बनाना शुरू किया। अपनी एक साल की बेटी को गोद में लेकर, वह हजियारपल्ली की दुकानों पर यह मिठाई बेचने के लिए रोजाना 4 किलोमीटर पैदल चलती थीं। शुरुआत में दुकानदारों ने मना भी किया, लेकिन उनके दस पैकेट बिकते देख उनका विश्वास बढ़ा और शरीफा का आत्मविश्वास भी।
बैंकों ने दिए ताने, लेकिन हौसला नहीं टूटा:
धीरे-धीरे व्यवसाय बढ़ने पर शरीफा ने एक छोटा कैटरिंग व्यवसाय शुरू करने की सोची। इसके लिए उन्होंने बैंकों से कर्ज लेने की कोशिश की, लेकिन कोई कोलेट्रल न होने के कारण सभी बैंकों ने उन्हें कर्ज देने से मना कर दिया और ताने दिए। यह एक मुश्किल दौर था, लेकिन शरीफा ने हार नहीं मानी।
मोड़ तब आया जब उन्होंने केरल सरकार की महिला सशक्तिकरण मिशन 'कुटुम्बश्री' से जुड़ने का फैसला किया। 2018 में, कुटुम्बश्री से 2 लाख रुपये का कर्ज पाकर उन्होंने अपने बेटे मुथु के नाम पर 'मुथु कैटरिंग' की शुरुआत की। इसके बाद उनके व्यवसाय ने रफ्तार पकड़ी और वह बिरयानी, पाथरी और चपाती की सप्लाई करने लगीं। कुटुम्बश्री की सलाह पर उन्होंने 'डब्बावाला' सेवा भी शुरू की और सरकारी कर्मचारियों को रोजाना 50-60 खाने के डब्बे पहुंचाने लगीं।
महामारी में भी ढाला नया अवसर:
2020 में कोरोना महामारी ने उनके व्यवसाय को ठप कर दिया। सभी ऑर्डर रुक गए। लेकिन इस संकट की घड़ी में भी कुटुम्बश्री ने उन्हें मंजेरी मेडिकल कॉलेज में कोरोना मरीजों के लिए भोजन सप्लाई का मौका दिया। शरीफा ने इस अवसर को जप लिया और लगभग 2,000 मरीजों को भोजन पहुंचाने का काम शुरू किया, जिसके लिए उन्होंने 10-15 और महिलाओं को रोजगार दिया।
महामारी के बाद, उनकी कड़ी मेहनत और विश्वसनीयता का फल मिला जब उन्हें कोट्टक्कल आयुर्वेद कॉलेज की कैंटीन चलाने का ठेका मिला। इस सफलता के बाद उन्होंने कोट्टक्कल में एक होटल खरीदा और बाद में कुटुम्बश्री के सहयोग से 'कैफे कुटुम्बश्री' नाम से एक मल्टी-क्यूजीन रेस्तरां भी शुरू किया।
आज की सफल शरीफा:
आज शरीफा कलथिंगल तीन रेस्तरां, तीन कारों और 1 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के घर की मालकिन हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में उनके व्यवसाय ने 50 लाख रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित किया। वह 40 से अधिक महिलाओं को रोजगार देकर समाज में बदलाव की नई मिसाल पेश कर रही हैं। उनके पति सक्कीर अब पेंटिंग का काम छोड़कर उनके एक रेस्तरां का प्रबंधन करते हैं। जिन बैंकों ने कभी उन्हें कर्ज देने से मना कर दिया था, आज उन्हें लोन देने के लिए उनके पीछे भागते हैं।
प्रेरणादायक सीख और विचार:
"सपने वो नहीं जो आप नींद में देखें, सपने वो हैं जो आपको नींद ही न आने दें।" - शरीफा का संघर्ष इसी जुनून का प्रतीक है।
शुरुआत छोटी हो सकती है, लेकिन सोच बड़ी रखो: ₹100 से शुरुआत कर आज करोड़ों के व्यवसाय की मालकिन बनने का सफर यही सिखाता है।
असफलता अंत नहीं, एक नई शुरुआत है: बैंकों से लोन न मिलना एक झटका था, लेकिन शरीफा ने वैकल्पिक रास्ता ढूंढा।
मेहनत और ईमानदारी कभी व्यर्थ नहीं जाती: उनकी लगन और गुणवत्ता पर दिया गया ध्यान ही आज उनकी पहचान है।
"जब तक आप कोशिश नहीं करोगे, आप नहीं जान पाओगे कि आप में कितनी शक्ति है।" - शरीफा के जीवन ने इस कथन को सच साबित किया है।
शरीफा कलथिंगल की कहानी साबित करती है कि इच्छाशक्ति, कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी मुश्किल असंभव नहीं है। वह न सिर्फ केरल, बल्कि पूरे देश की महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल बन गई हैं।



