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अमेरिका में AI का 'सुनहरा सपना' फीका, बाजारों में मचा हाहाकार! भारत के लिए क्या है चुनौती और मौका?

अमेरिका के शेयर बाजारों में जोरदार गिरावट, AI कंपनियों के शेयरों पर संदेह और 1.5 लाख नौकरियों के सिर्फ एक महीने में चले जाने ने वैश्विक आर्थिक मंदी के अलार्म बजा दिए हैं। जानिए, अमेरिका का ये तूफान भारत के लिए कितना बड़ा खतरा लेकर आ रहा है।

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। शेयर बाजार लगातार गिर रहा है, नौकरियां तेजी से कट रही हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर बना 'जादुई बुलबुला' फटने की कगार पर नजर आ रहा है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह सिर्फ अमेरिका तक सीमित संकट नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चेतावनी है, जिसका सीधा असर भारत पर भी पड़ना तय है।

AI के 'बुलबुले' में दरार, निवेशकों का भरोसा डगमगाया

पिछले दो सालों से AI के नाम पर शेयर बाजार में जो उछाल देखने को मिल रहा था, वह अब ठंडा पड़ता नजर आ रहा है। बड़ी टेक कंपनियों के शेयर, जिनकी किमत आसमान पर थी, अब लुढ़क रहे हैं। मुख्य वजह यह है कि निवेशकों को अब एहसास होने लगा है कि इन कंपनियों का वैल्यूएशन (कंपनी का बाजार मूल्य) उनकी वास्तविक ग्रोथ (वृद्धि) से कहीं आगे निकल गया है। सीधे शब्दों में कहें तो, उम्मीदें जमीन-आसमान थीं, लेकिन आमदनी उस हिसाब से नहीं बढ़ पा रही।

पक्ष (Pros): AI एक क्रांतिकारी तकनीक है और दीर्घकाल में उत्पादकता बढ़ाने में इसकी भूमिका अहम रहेगी।

विपक्ष (Cons): अल्पकाल में, अतिरंजित उम्मीदों ने एक 'बबल' बना दिया है। जब यह बबल फूटता है, तो निवेशकों के अरबों डॉलर डूब जाते हैं और तकनीकी क्षेत्र में निवेश की रफ्तार थम सकती है

नौकरियों पर कैंची, सिर्फ अक्टूबर में 1.53 लाख लोग बेरोजगार

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए सबसे डरावना आंकड़ा नौकरियों का है। सिर्फ अक्टूबर 2024 महीने में ही लगभग 1.53 लाख लोगों की नौकरियां गईं, जो पिछले 20 सालों में किसी अक्टूबर महीने की सबसे बड़ी छंटनी है। यह छंटनी सिर्फ टेक सेक्टर तक सीमित नहीं, बल्कि रिटेल, लॉजिस्टिक्स और सर्विस सेक्टर तक फैल चुकी है। कंपनियां लागत कम करने और AI के माध्यम से ऑटोमेशन बढ़ाने पर जोर दे रही हैं, जिसका सीधा असर रोजगार पर पड़ रहा है।

भारत के लिए चेतावनी और अवसर (Alert for India)

अमेरिका में यह आर्थिक भूचाल भारत के लिए बड़ी चुनौतियां और कुछ अवसर भी लेकर आया है

चुनौतियां (Alerts):

o भारतीय आईटी सेक्टर पर मंडराता खतरा: भारतीय आईटी कंपनियों का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी Negotiables ग्राहकों पर निर्भर है। अमेरिका में मंदी और छंटनी का मतलब है नए प्रोजेक्ट्स में कमी और भारतीय कंपनियों के लिए कम ऑर्डर, जिससे यहां भी हायरिंग पर असर पड़ सकता है।

o निवेश में गिरावट: अमेरिकी बाजार में उथल-पुथल से वैश्विक निवेशक सतर्क हो जाते हैं, जिसका असर भारतीय शेयर बाजारों पर भी दिख सकता है। FII (विदेशी संस्थागत निवेशक) पैसा निकाल सकते हैं

अवसर (Opportunities):

o AI में दक्षता का फायदा: भारतीय कंपनियां अगर AI टूल्स का इस्तेमाल करके अपनी दक्षता बढ़ाती हैं और सेवाओं को सस्ता करती हैं, तो वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे निकल सकती हैं।

o तालेंट का लाभ: AI की दौड़ में भारत का इंजीनियरिंग तालेंट एक बड़ी ताकत बन सकता है। भारत AI रिसर्च और डेवलपमेंट का वैश्विक केंद्र बन सकता है।

विशेषज्ञ की राय

आर्थिक विश्लेषक, डॉ. अमित शर्मा कहते हैं, "अमेरिका की यह स्थिति भारत के लिए एक अलर्ट बेल है। हमें अपने घरेलू बाजार को मजबूत करने और निर्यात को विविधित करने पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही, हमें AI और नई तकनीकों में अपने युवाओं को स्किल्ड बनाना होगा, ताकि हम इस संकट को अवसर में बदल सकें।"

निष्कर्ष: अमेरिका में जारी आर्थिक उथल-पुथल एक वैश्विक घटना है। भारत के लिए यह जरूरी है कि वह सतर्क रहते हुए अपनी आर्थिक नीतियों को मजबूत करे और तकनीकी बदलावों के साथ कदम से कदम मिलाकर चले, तभी वह इस आने वाले तूफान से सुरक्षित निकल पाएगा

Albina Jalpa
Albina Jalpa

Digital Content Producer

With over 3+ years of experience in sports journalism, I have covered major events like the Olympics, Asian Games, IPL, and Commonwealth Games, along with sports such as cricket, football, badminton, and hockey.