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महंगे डिटॉक्स की जरूरत नहीं, लिवर की सफाई का ये है देसी और आसान फंडा

नई दिल्ली: अनहेल्दी खानपान और बदलती जीवनशैली की वजह से कम उम्र में ही फैटी लिवर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में लिवर का ख्याल रखना सेहत की सबसे बड़ी प्राथमिकता बन गया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि महंगे सप्लीमेंट्स और डिटॉक्स ड्रिंक के बजाय, शरीर की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया को सक्रिय करना एक बेहतर और सस्ता विकल्प है।

लिवर हमारे शरीर का एक अनमोल फिल्टर है, जो टॉक्सिन्स को बाहर निकालने, पाचन में मदद करने और मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखने का काम करता है। विख्यात हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. एरिक बर्ग के मुताबिक, लिवर की इस कुदरती सफाई प्रक्रिया को सिर्फ 3 दिन में एक आसान प्रोटोकॉल अपनाकर बढ़ावा दिया जा सकता है।

ऑटोफेजी: शरीर की खुद-ब-खुद सफाई का राज

इस प्रक्रिया की कुंजी है 'ऑटोफेजी'। यह शरीर की एक ऐसी प्रक्रिया है जहां कोशिकाएं अपने पुराने और खराब हिस्सों, बेकार पदार्थों और हानिकारक तत्वों को रिसाइकिल करके नई ऊर्जा पैदा करती हैं। एक वरिष्ठ पोषण विशेषज्ञ के अनुसार, "ऑटोफेजी लिवर के कामकाज को बनाए रखने, सूजन कम करने और बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने में अहम भूमिका निभाती है।" उपवास, कसरत, अच्छी नींद और कैलोरी पर नियंत्रण जैसे तरीके इस प्रक्रिया को शुरू करने में मददगार साबित होते हैं।

ड्राई फास्टिंग क्यों है खास?

इस 3-दिवसीय प्रोटोकॉल में 'ड्राई फास्टिंग' यानी सूरज उगने से लेकर अस्त होने तक कुछ भी खाने-पीने से परहेज करना शामिल है। शोध बताते हैं कि ड्राई फास्टिंग के दौरान शरीर जमा फैट को तोड़कर ऊर्जा पैदा करता है, और इस प्रक्रिया में पानी भी रिलीज होता है। यह शरीर के डिटॉक्स सिस्टम को मजबूत करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और दिमागी सेहत को फायदा पहुंचाने का काम करता है

कैसे करें यह 3-दिवसीय लिवर रीसेट?

यह प्रोटोकॉल पूरी तरह से प्राकृतिक और आहार पर आधारित है, जिसे महीने में तीन बार किया जा सकता है

1. शुरुआत सही ढंग से: सबसे पहले शरीर को तैयार करें। टॉक्सिन के बाहर निकलने के दौरान होने वाली परेशानी से बचने के लिए बाइल साल्ट्स का सेवन फायदेमंद रहता है।

2. दिन का समय (ड्राई फास्ट): सूर्योदय से सूर्यास्त तक (लगभग 12-14 घंटे) बिना कुछ खाए-पीए रहें। यह समय ऑटोफेजी को सक्रिय करने के लिए है।

3. शाम का भोजन (हेल्दी ब्रेक-फास्ट): अपना उपवास पोषक तत्वों से भरपूर भोजन से तोड़ें। इन चीजों को शामिल करें: 

  • क्रूसिफेरस सब्जियां: ब्रोकली, पत्तागोभी और फूलगोभी लिवर के डिटॉक्स एंजाइम को बढ़ावा देती हैं।
  •  लीन प्रोटीन: चिकन जैसे मीट की एक सर्विंग से मिलने वाले अमीनो एसिड और विटामिन बी शरीर के मास्टर एंटीऑक्सीडेंट ग्लूटाथियोन के उत्पादन में मदद करते हैं।

4. हाइड्रेशन और आराम: भोजन के बाद पर्याप्त मात्रा में पानी और हर्बल चाय पिएं। इसके साथ ही 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेना जरूरी है, क्योंकि गहरी नींद के दौरान भी ऑटोफेजी की प्रक्रिया जारी रहती है।

एहतियात जरूरी

हालांकि इस प्रोटोकॉल के कई फायदे हैंजैसे लिवर-किडनी की कार्यक्षमता में सुधार, सूजन कम होना, पाचन और इम्यून सिस्टम का मजबूत होनालेकिन यह हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को किसी भी तरह का उपवास शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

साफ जाहिर है कि लिवर को दुरुस्त रखने का राज महंगे उत्पादों में नहीं, बल्कि हमारे शरीर की खुद को ठीक करने की इसी कुदरती क्षमता को जगाने में छिपा है।

Albina Jalpa
Albina Jalpa

Digital Content Producer

With over 3+ years of experience in sports journalism, I have covered major events like the Olympics, Asian Games, IPL, and Commonwealth Games, along with sports such as cricket, football, badminton, and hockey.